रीवा में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को मिली सख्त सजा, पॉक्सो कोर्ट ने सुनाई अंतिम सांस तक उम्रकैद
मध्य प्रदेश के रीवा जिले की त्योंथर स्थित विशेष पॉक्सो न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के दोषी लवकुश कोल को उसके शेष प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पर जुर्माना भी लगाया है।;

रीवा के त्योंथर पॉक्सो कोर्ट का अहम फैसला: नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों पर सख्त रुख अपनाते हुए रीवा जिले की त्योंथर स्थित विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) ने एक अहम फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश डी.आर. कुमरे की अदालत ने एक किशोरी के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे शेष प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास (Life imprisonment till natural life) की सजा से दंडित किया है। न्यायालय ने दोषी पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इस प्रकरण को पुलिस प्रशासन द्वारा 'चिह्नित अपराधों' की श्रेणी में रखा गया था, जिससे इसकी त्वरित सुनवाई सुनिश्चित हो सकी।
क्या था मामला
यह दर्दनाक घटना पिछले साल 15 मार्च, 2024 की है। अतरैला क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग छात्रा अपनी परीक्षा देने के लिए विद्यालय जा रही थी। आरोप के अनुसार, रास्ते में जनेह थाना क्षेत्र के टंगहा निवासी लवकुश कोल पिता चंद्रशेखर कोल ने उसे अकेला पाकर पकड़ लिया। वह छात्रा को जबरन पास के खेत में ले गया और उसके साथ बलात्कार किया। इस घटना से पीड़िता अत्यधिक डर गई थी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और अभियोजन
घर पहुंचने पर पीड़िता ने हिम्मत करके अपने परिजनों को आपबीती सुनाई। परिजनों ने तत्काल संबंधित पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत प्रकरण दर्ज कर आरोपी लवकुश कोल को गिरफ्तार कर लिया। जांच पूरी करने के उपरांत पुलिस ने अभियोग पत्र (चालान) विशेष न्यायालय पॉक्सो, त्योंथर में प्रस्तुत किया।
न्यायालयीन प्रक्रिया और सजा
विशेष न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक धीरज सिंह ने सशक्त पैरवी की। उन्होंने न्यायालय के समक्ष पीड़िता और अन्य महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज कराए तथा संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत किए। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों, प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के बयानों का गहनता से परिशीलन करने के उपरांत आरोपी लवकुश कोल को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी पाया। न्यायाधीश डी.आर. कुमरे ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषी को उसके शेष प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।