Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या कल, भगवान शिव की आराधना विशेष फलदायी, बन जाएंगे बिगड़े काम

Somvati Amavasya 2023: सावन के व्रत-त्यौहारों में इस साल सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ और उचित उपाय करने से कष्टों का निवारण होता है और बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

Update: 2023-07-16 10:41 GMT

Somvati Amavasya 2023: सावन के व्रत-त्यौहारों में इस साल सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ और उचित उपाय करने से कष्टों का निवारण होता है और बिगड़े काम भी बन जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक भारतीय पंचांग के अनुसार जिस अमावस्या की तिथि सोमवार को पड़ती है, उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या एक बहुत दुर्लभ योग है। यह पूरे वर्ष में दो या तीन ही होती हैं। इससे अधिक दुर्लभ यह है कि ऐसी अमावस्या सावन के पावन महीने में कभी-कभार ही पड़ती है।

इस साल बने हैं तीन योग

साल 2023 में कुल तीन सोमवती अमावस्या के योग बने हैं। साल की पहली सोमवती अमावस्या फरवरी में 20 तारीख को फाल्गुन मास में पड़ी थी। इस साल के दूसरी सोमवती अमावस्या सावन मास में 17 जुलाई 2023 को है। जो बहुत ही विशेष और फलदायिनी है। इस साल की तीसरी सोमवती अमावस्या नवंबर महीने में 13 तारीख को है। पंचांग के अनुसार यह कार्तिक मास में पड़ रहा है। साल 2023 की सभी तीनों सोमवती अमावस्याएं कृष्ण पक्ष में ही पड़ी हैं यानी ये सभी कृष्ण सोमवती अमावस्याएं हैं।

होता है कष्टों का निवारण

सावन का महीना बहुत अधिक शुभ होता है। यह भगवान शिव की आराधना का पावन मास है। इस महीने में सोमवार बहुत विशेष होता है। मान्यतानुसार यह दिन महादेव शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए बहुत विशेष महत्व रखता है। एक तो सावन का महीना ऐसे में सोमवार और अमावस्या का होना ये तीनों संयोग बनने से इस महीने की सोमवती अमावस्या विशेष महत्वपूर्ण हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ और उचित उपाय करने से कष्टों का निवारण होता है और बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

यह उपाय विशेष फलदायी

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सोमवती अमावस्या पर शिवलिंग की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा विशेष फलदायी है। सावन सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने से केवल इस जन्म के ही नहीं बल्कि पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है। इस दिन शिवजी की व्रत रखने और विधि.विधान से उनकी पूजा करने से मनोवांछित फल और अभीष्ट की प्राप्ति होती है। शिवालयों और मंदिरों में स्थापित शिवलिंग का शुद्ध और पवित्र जल से अभिषेक करें। गाय का दूध शिवलिंग पर अर्पित करें । शहद का लेप करें। सावन माह की सोमवती अमावस्या को महादेव शिव और मां पार्वती की पूजा.आराधना और आरती के बाद फल और मिष्टान्न का भोग लगाने से लाभ होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके षडाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अमावस्या तिथि के दिन धन-धान्य और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसमें भी कार्तिक अमावस्या लक्ष्मी पूजा और अक्षय तृतीय की सबसे खास तिथियां है। इसके बाद सावन माह की सोमवती अमावस्या को लक्ष्मी पूजा विशेष फल प्रदान करती हैं।

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