सूडान में क्या हो रहा: सेना और पैरामिलिट्री आपस में जंग लड़ रहे, इस माहौल में 31 भारतीय फंसे हुए हैं
What is happening in Sudan: सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री आपस में जंग लड़ रही है. अबतक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है
What is happening in Sudan: इस्लामिक देश सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच जंग चल रही है. दोनों देश की सेना हैं फिर भी आपस में जंग लड़ रहे हैं. इस बीच यहां भारत के 31 आदिवासी फंसे हुए हैं. भारत सरकार से रेस्क्यू कराने की मदद मांग रहे हैं. सूडान में फंसे एक भारतीय एस प्रभु ने Indian Express से संपर्क करते हुए बताया है कि सभी भारतीय आदिवासी जड़ी-बूटी बेचने के लिए सूडान गए थे, 19 लोग कर्नाटक के हुंसूर, 7 शिवमोगा और 5 लोग चन्नागिरी के रहने वाले हैं.
सूडान देश में सेना और पैरामिलिट्री के बीच जंग चल रही है. ऐसे में भारतीय आदिवासी 5 दिन से अल-फशेर शहर में फंसे हैं. उनके पास खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं है. घर के बाहर से धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है. कब कहां से कोई बम उनके रूम में आकर गिर जाए भरोसा नहीं है.
ऐसे में कांग्रेस भी मोदी सरकार को घेरने लगी है. कांग्रेस प्रवक्ता रणजीत सुरजेवाला ने कहा है कि मोदी सरकार कन्नड़ विरोधी है। सूडान में फंसे भारतीयों के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है. इन्हे उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया गया है. बता दें कि सूडान में अबतक 200 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है.
सूडान में क्या हो रहा
What's Going In Sudan: सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री आपस में जंग कर रही है. आर्मी को मिस्र का साथ मिल रहा है जबकि पैरामिलिट्री को UAE और सऊदी अरब सपोर्ट कर रहा है. दरअसल इस जंग की कहानी आज से 23 साल पहले से शुरू हुई थी.
साल 2000 में सूडान के पश्चिमी इलाके डॉर्फर में विद्रोह शुरू हुआ था. इसके लिए सेना ने जंजाविद मिलिशिया की मदद ली थी. ये मिलिशिया आगे चलकर रेपिड सपोर्ट फ़ोर्स में तब्दील हो गया. और सेना के मिशन में मदद करने लगा.
डाफर्स में हुए विद्रोह को दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा जानलेवा विद्रोह कहा जाता है. साल 2003 से लेकर 2008 तक इस जंग में 3 लाख लोगों की जान गई थी. 20 लाख से ज़्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में 2009 में इस मामले में सूडान के तानाशाह ओमर हसन अल बशीर पर नरसंहार के आरोप लगे थे. तानाशाह अल बशीर ने डार्फर विद्रोह कुचलने में मदद करने वाले जंजावीद लड़ाकों को सरकारी दर्जा देना चाहता था। इसके चलते 2013 में इसे RSF में बदल दिया गया।
सूडान में सेना और पैरामिलिट्री के बीच जंग क्यों हो रही
सूडान की सेना और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की जंग हो रही है. 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमार अल बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया था. अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को पद से हटाकर तख्तापलट कर दिया था. लेकिन इसके बाद सूडान के रहने वाले लोकतान्त्रिक देश की मांग करने लगे
इसके बाद सूडान में जॉइंट सरकार का गठन हुआ. जिसमे देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों की भूमिका थी. 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया.
आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल बुरहान सूडान के राष्ट्रपति और RSF के लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बने. जिसके बाद से ही RSF और सेना के बीच संघर्ष चल रहा है
मिलिट्री रूल हटाकर सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने है. RSF सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहती है जबकि आर्मी कहती है कि इसे 2 साल के अंदर लागू हो जाना चाहिए