म्यांमार में क्या हो रहा है? म्यांमार की सेना अपने देश में नरसंहार क्यों कर रही है? जानें पूरा किस्सा
What is happening in Myanmar: हाल ही में म्यांमार की सेना ने बम गिराकर 100 से अधिक लोगों को मार डाला है
What is happening in Myanmar: भारत के पडोसी देश म्यांमार के हालात बेहद खराब हैं. इस देश की सेना ही आम नागरिकों पर हवाई हमले कर उनकी जान ले रही है. म्यांमार सेना की क्रूरता की हालिया घटना की बात करें तो 11 अप्रेल को म्यांमार की मिलिट्री ने हवाई हमला करते हुए रिहायशी इलाके में बमबारी कर दी और 100 लोगों को मार डाला। सेना ने यह बम खेलते हुए बच्चों पर भी गिरा दिया
आखिर म्यांमार की ऐसी हालत क्यों हुई? म्यांमार की सेना ही अपने देश के आम नागरिकों की दुश्मन क्यों बन गई? और पूरी दुनिया इस मामले में चुप क्यों है? कुछ ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब हम जानेंगे
म्यांमार का इतिहास
History Of Myanmar: बात है सन 1531 की, यहां टौंगू वंश का एक राजा सत्ता में आया, उसने अलग-अलग रियासतों को मिलाकर देश का एकीकरण किया और इस भौगोलिक क्षेत्र को उसने 'बर्मा' नाम दिया। 1880 में बर्मा में ब्रिटिश साम्राज्य की एंट्री हुई. करीब 70 साल तक बर्मा देश ब्रिटिशों का गुलाम रहा, 1948 में अंग्रेजों ने बर्मा को भी आजाद कर दिया
बर्मा के पहले प्रधानमंत्री 'यूनू' बने लेकिन 1962 के बाद म्यांमार की सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली. यहां वन पार्टी सिस्टम लागू हो गया. म्यांमार सेना के जनरल 'ने विन' ने डेमोक्रेसी का अंत करते हुए देश की सत्ता को अपने हाथ में ले लिया।
म्यांमार की सेना देश को नहीं चला पाई, सेना की ख़राब नीतियों के चलते म्यांमार की इकोनॉमी चौपट हो गई. इन ख़राब हालातों के बीच सेना ने 1987 में नोटबंदी कर दी और एक झटके में 80% करेंसी नोट अवैध हो गए.
म्यांमार की जनता दाने-दाने को तरस गई, लोगों में अपने देश की सेना के खिलाफ रोष भरने लगा और 13 मार्च 1988 के दिन सब्र का मटका फुट गया. तब म्यांमार की राजधानी रंगून हुआ करती थी. रंगून के स्टूडेंट्स देश की हालातों पर चर्चा करने के लिए सभा बुलाने लगे, सरकार की ख़राब नीतियों को लेकर चर्चा करने लगे. स्टूडेंस की यह बात म्यांमार के सरकारी अधिकारीयों तक पहुंच गई. सरकारी अधिकारीयों ने छात्रों को ऐसी मीटिंग बुलाने से रोका, इस रोका-टोकी ने झगडे का रूप ले लिया। झगडे में मॉन्ग फोन माउ नाम के एक छात्र की मौत हो गई.
मौत के बाद स्टूडेंस ने सड़क में आकर विरोध करना शुरू किया, जिसके बाद म्यांमार की सेना ने गोलियां चलवा दीं जिससे 200 छात्रों की मौत हो गई. इस कत्लेआम के बाद देश की जनता नाराज हो गई. लोग पुलिस और सेना से नफरत करने लगे. जहां आम लोगों को पुलिस दिखाई देती वह उन्हें पीटना शुरू कर देते।
अंत में 1988 में देश के तानाशाह जनरल को इस्तीफा देना पड़ा लेकिन सत्ता भी उसके खास आदमी जनरल जनरल सिन ल्विन को मिली। म्यांमार की सेना को देश में सेना का कंट्रोल नहीं बल्कि एक लोकतान्त्रिक देश चाहिए था. साल 1991 में यहां सेना ने आम चुनाव आयोजित किए
उस समय नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. चुनाव में NLD पार्टी जीत भी गई. इस पार्टी की लीडर का नाम 'आंग सान सू ची' था. उन्हें ही म्यांमार का प्रधानमंत्री बनना था. लेकिन चुनाव नतीजे सामने आने के बाद सेना ने चुनाव को अवैध घोषित कर दिया और 'आंग सान सू ची' को नजरबंद कर दिया
इसके बाद म्यांमार की सेना ने ऑपरेशन पी थाया लॉन्च किया. अंग्रेज़ी में इसे 'Clean and Beautiful Nation' कहा गया. म्यांमार में बौद्ध धर्म को मानाने वालों ने रोहंगिया मुसलमानों को भागना शुरू कर दिया। म्यांमार से पूरे रोहंगिया मुसलमानों को भगा दिया गया
साल 2008 में म्यांमार की सेना ने नया संविधान लाया, जो सेना को और पॉवरफुल बना देने वाला था. इस संविधान में यह तक जिक्र था कि देश में चुनाव के बाद रक्षा मंत्री की नियुक्ति भी सेना करेगी। उसके पास इंटीरियर मिनिस्ट्री (माने गृहमंत्रालय) और स्टेट सिक्यॉरिटी की बागडोर भी होगी. इसके अलावा, संसद की एक चौथाई सीटों पर भी उसे आरक्षण मिलेगा. ताकि उसकी मर्ज़ी के बिना सरकार कोई फ़ैसला न ले सके. इन्हीं शर्तों के चलते सू ची ने 2010 के चुनाव का बहिष्कार किया. सेना ने उन्हें मनाने की कोशिश की. सू ची मान गईं. लेकिन आगे जाकर फिर बात बिगड़ गई. इन्हीं सब नेगेशिएशन के चलते 5 साल और बीत गए.
म्यांमार की कहानी
Story Of Myanmar: 2015 में म्यांमार में चुनाव हुए. NLD पार्टी फिर से चुनाव जीत गई. पार्टी ने 5 साल तक शासन चलाया। 2020 में फिर से चुनाव हुए और NLD फिर से जीत गई. लेकिन यह बात सेना से बर्दाश्त नहीं हुई. सेना ने सरकार के प्रतिनिधियों को जेल में बंद कर दिया और उनके ऊपर गंभीर मुक़दमे चला दिए.
1 फरवरी 2021 के दिन सेना के जनरल मिन ओंग लाइंग ने तख्तापलट कर दिया और म्यांमार में एक बार फिर से सैन्य शासन शुरू हो गया. लोगों ने फिर से सेना का विरोध करना शुरू किया लेकिन सेना ने विरोध करने वालों को जान से मारना शुरू कर दिया
म्यांमार में जो सेना का विरोध करता है उसे मार दिया जाता है. हाल ही में सेना ने बम से 100 लोगों को मार डाला, जिनमे कई बच्चे शामिल थे जो अपने घर के बाहर खेल रहे थे.
11 अप्रेल 2022 के दिन म्यांमार के सागैंग प्रांत के कनबालु टाउनशिप में एक गांव पड़ता है पजीगी नाम का. म्यांमार की सेना के मुताबिक यहां सैन्य सरकार के विरोध में एक समारोह रखा गया था. इस समारोह में विद्रोही ग्रुप के ऑफिस के उद्घाटन होना था. सुबह 7:30 बजे सेना के लड़ाकू विमान आए और समारोह में हवाई हमला कर दिया, सेना ने दो मिसाइल और मशीन गन से लोगों का कत्लेआम कर दिया
सेना के इसी तरह के हमलों में अबतक म्यांमार के हजारों नागरिक मारे जा चुके हैं. हर रोज किसी न किसी की हत्या हो रही है. म्यांमार में सैन्य शासन की वापसी को 2 साल हो चुके हैं. इस दरमियान 17 हजार विरोधियों को जेल में बंद किया गया है और इन दो सालों में सेना ने 3 हजार से ज्यादा लोगों को मार डाला है. UN की रिपोर्ट कहती है कि म्यांमार में सेना के कारण 15 लाख लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.