NMC New Regulation: अब चिकित्सकों को लिखना होगा जेनेरिक दवाइयां अन्यथा लाइसेंस होगा रद्द
NMC New Regulation: मरीजों के इलाज के दौरान चिकित्सकों को अब जेनेरिक दवाइयां लिखना होगा अन्यथा उन पर कार्रवाई हो सकती है। नेशनल मेडिकल कमीशन के नए नियमों में इसके लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
NMC New Regulation: मरीजों के इलाज के दौरान चिकित्सकों को अब जेनेरिक दवाइयां लिखना होगा अन्यथा उन पर कार्रवाई हो सकती है। नेशनल मेडिकल कमीशन के नए नियमों में इसके लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। नए नियमों के मुताबिक डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां आसान भाषा में कहा जाए तो प्रिस्क्रिप्शन में केवल यह लिखा जाएगा कि उस बीमारी के लिए मरीज को क्या फॉर्मूला लेना है, न कि किसी ब्रांड की दवा का नाम। ऐसा नहीं करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के साथ उनका लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है।
कई बार एनएमसी दे चुका है चेतावनी
डॉक्टरों को मरीज के पर्चे में जेनेरिक दवाइयां लिखनी होंगी। ऐसा नहीं करने पर उनका लाइसेंस भी कुछ समय के लिए रद्द किया जा सकता है। एनएमसी ने प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर रेगुलेशन जारी किया। जिसमें बताया गया कि इंडियन मेडिकल काउंसिल की ओर से 2002 में जारी नियमों में ऐसे मामलों में सजा देने का जिक्र नहीं था। इसके पूर्व भी कई बार डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां नहीं लिखने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा चुकी है। मई 2023 में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा था कि केन्द्र सरकार ने अस्पतालों, स्वास्थ्य योजना कल्याण केन्द्रों और पॉली क्लीनिक के डॉक्टरों को कई बार जेनेरिक दवाएं लिखने के निर्देश जारी किए हैं। इसके बावजूद अस्पतालों के रेजिडेंट और एक्सपर्ट्स डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। अब ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती हैं जेनेरिक दवाइयां
नेशनल मेडिकल कमीशन के नए रेगुलेशन में कहा गया है कि जेनेरिक दवाइयां ब्रांडेड मेडिसिन की तुलना में 30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती हैं। ऐसे में यदि डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाइयां लिखेंगे तो मरीजों के हेल्थ पर होने वाले खर्च में कमी आएगी। अस्पतालों और स्थानीय फार्मेसियों को भी जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए। एनएमसी के रेगुलेशन के मुताबिक देश में लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं जिसमें बड़ी राशि केवल दवाओं पर खर्च की जा रही है। चिकित्सकों द्वारा जेनेरिक दवाइयां लिखने से मरीजों के हेल्थ में होने वाले खर्च में काफी हद तक कमी आ जाएगी।