Nipah Virus: केरल के कोझिकोड में फिर पाया गया निपाह वायरस, 12 वर्ष के बच्चे की मौत से बढ़ी चिंता
केरल के कोझिकोड में एक बार फिर निपाह वायरस (Nipah Virus) पाया गया है। जिसकी चपेट में आने से 12 वर्ष के बच्चे की मौत हो गई है।
Kozhikode / कोझिकोड। ला इलाज निपाह वायरस (Nipah Virus) सामने आने के बाद एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। यह वायरस केरल (Kerala) के कोझिकोड (Kozhikode) में पाया गया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Health Minister Veena George) ने रविवार को बताया कि निपाह वायरस के संक्रमण से 12 के बच्चे की अस्पताल में मौत हुई है।
बच्चे में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है। मंत्री ने बताया कि पीड़ित लड़के के शरीर से नमूने लिए गए थे जिन्हें पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology, Pune) भेजा गया था। जांच में यह वायरस पाया गया है।
बच्चे के संपर्क में आने वालो की तलाश शुरू
वीना जार्ज ने बताया कि बच्चे के संपर्क में आए लोगों की तलाश की जा रही है। जिससे उन्हे अलग किया जा सकें। निपाह वायरस (Nipah Virus) कोरोना वायरस की तरह ही संक्रामक है। दुभार्ग्य पूर्ण यह है कि इस वायरस का न तो कोई ईलाज है और न ही कोई टीका है। यही वजह है कि इस वायरस के सामने आने के बाद सरकार चितिंत है।
2001 में पाया गया था निपाह वायरस (Nipah Virus)
खबरो के मुताबिक भारत में 2001 में निपाह वायरस (Nipah Virus)पाया गया था। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में इसके 66 मरीज पाए गए थे। इनमें से 45 मरीजों की मौत हो गई थी। केरल (Kerala) के कोझिकोड (Kozhikode) में 19 मई 2018 को निपाह संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। एक जून 2018 तक इस संक्रमण के 18 मामले सामने आए थे तथा 17 लोगों की मौत हो गई थी।
चमगादड़ है वायरस का वाहक
जानकारी के तहत यह वायरस चमगादड़ों से फैलता है। चमगादड़ों द्वारा खाए गए या चाटे गए फलों को इंसान खा ले तो वह संक्रमित हो जाता है। निपाह वायरस (Nipah Virus) से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी संक्रमण का खतरा है। विशेषज्ञों के मुताबिक सुअरों से भी निपाह वायरस के संक्रमण का खतरा होता है। इंसानों में निपाह वायरस का संक्रमण आंख, नाक और मुंह के रास्ते होता है।
बीमारी के यह है लक्षण / Nipah Virus Symptoms
निपाह वायरस (Nipah Virus) के सम्पर्क में आने वालों में 3 से 13 दिन तक बुखार आने के साथ ही सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ होती है। दिमांक को नुकसान पहुचाता है। एक से दो दिन में मरीज कोमा में हो जाता है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इंसान और जनवारों में फैलने वाले इस वायरस के लिये कोई भी दवा नही है। संक्रमण से बचाव ही ईलाज है।