Agneepath Yojana Bharti में जाति पूछने को लेकर संजय सिंह और वरुण गांधी जैसे नेताओं ने जनता से झूठ बोला
Agneepath Yojana Bharti Caste Controversy: आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और वरुण गांधी ने लोगों को अग्निपथ योजना भर्ती में पहली बार जाति पूछने को लेकर गुमराह करने का काम किया है
Agneepath Yojana Bharti Caste Controversy Fact Check: इंडियन आर्मी द्वारा अग्निपथ में भर्ती को लेकर जो नोटिफिकेशन जारी किया गया उसमे विपक्ष के नेताओं ने बेवजह बवाल खड़ा कर दिया। देश की सेना को मजबूत बनाने वाली योजना के खिलाफ लोगों को गुमराह करने के लिए विपक्षी दल कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. अब ऐसा दावा किया गया है कि अग्निपथ भर्ती में सरकार आवेदन करने वालों की जाति और धर्म पूछ रही है जबकि सेना भर्ती में कभी आवेदन करने वालों से जाति प्रमाणपत्र नहीं माँगा गया.
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह (Sanjay Singh AAP) और बीजेपी के नेता वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने अग्निपथ योजना में पहली बार आवेदन करने वालों से जाति-धर्म का सर्टिफिकेट मांगने पर सवाल उठाया। जबकि इन दोनों नेताओं को भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया के बारे में कुछ भी पता नहीं था. बस विरोध करना था तो जबरन बिना किसी उचित कारण के विरोध शुरू कर दिया।
सेना अग्निपथ भर्ती में जातिभेद कर रही है
यह दावा आप नेता और वरुण गांधी सहित अन्य अज्ञानी नेताओं ने किया है जिनमे आर्मी भर्ती प्रक्रिया का ज्ञान नहीं है. दावा है कि अग्निवीर बनने के लिए सेना जाति और धर्म का प्रमाणपत्र मांग रही है जबकि इससे पहले सेना भर्ती में कास्ट और रिलिजन सर्टिफिकेट नहीं माँगा जाता था.
आप नेता संजय सिंह ने जनता से झूठ बोला- उन्होंने कहा: मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है. क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार "सेना भर्ती " में जाति पूछी जा रही है. मोदी जी आपको "अग्निवीर" बनाना है या "जातिवीर".
इसी तरह वरुण गांधी ने भी बिना जाने-बूझे ताव में आकर अग्निपथ स्कीम को लेकर भारतीय सेना और भारत सरकार पर हमला कर दिया और लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया
वरुण गांधी ने झूठ बोलते हुए कहा- सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
अग्निपथ योजना में जाति प्रमाणपत्र मांगने का फैक्ट चेक
Fact check of seeking caste certificate in Agneepath scheme: असल में सेना हमेशा से अपनी भर्ती में आवेदन करने वालों से जाति और धर्म का प्रमाणपत्र मांगती आई है. अग्निपथ योजना में कोई पहली बार भर्ती के दौरान कैंडिडेट्स ने जात धर्म नहीं पूछा गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आरोपों पर यही जवाब दिया था.
साल 2017 के अक्टूबर में आर्मी भर्ती के नोटिफिकेशन में भी जाति प्रमाणपत्र माँगा गया था
साल 2018-19 की भर्ती में भी जाति प्रमाणपत्र का जिक्र है. आर्मी की कंडीशन रहती है कि रिलीजन सर्टिफिकेट की जरूरत तभी पड़ेगी जब जाति प्रमाणपत्र में "सिख/हिंदू/मुसलमान/ईसाई" धर्म का उल्लेख न किया गया हो.
भारतीय सेना का कहना है कि -कैंडिडेट्स को हमेशा ही जाति प्रमाणपत्र जमा करने की आवश्यकता होती है और यदि आवश्यक हो, तो धर्म प्रमाणपत्र भी जमा करवाया जाता है. इस संबंध में अग्निवीर भर्ती योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है. धर्म के सर्टिफिकेट की जरूरत तब पड़ती है जब सैनिक अपनी जान गंवा देते हैं ताकि अंतिम संस्कार उनके धर्म के आधार पर किया जा सके.
PIB ने भी अग्निपथ योजना में पहली बार जाति-धर्म का सर्टिफिकेट मागंने के दावे का खंडन किया है
इसका मतलब विपक्षी नेता और मोदी सरकार से खिसियाने वाले नेता अग्निपथ योजना में भर्ती प्रक्रिया को लेकर आम लोगों से झूठ फैला रहे हैं. इनके पास विरोध करने को कुछ नहीं रहता इसी लिए किसी भी गैर-जरूरी मुद्दे को उठा देते हैं. इन जैसे झूठे नेताओं ने हज़ारों युवाओं को गुमराह कर दिया है.