Indian Railway ने Shramik Special Trains के लिए जारी की Guideline
लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों को उनके घरों तक भेजने के लिए Indian Railway ने केंद्र सरकार के निर्देश पर Shramik Special Trains
श्रमिक दिवस के दिन देश भर में लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को उनके घरों तक भेजने के लिए Indian Railway ने केंद्र सरकार के निर्देश पर Shramik Special Trains का संचालन शुरू किया है.
अब केंद्र ने Lockdown 3.0 में देश भर के जिलों को कोरोना के संक्रमण के हिसाब से तीन जोन Green, Orange & Red Zone में बांटा है. इस कारण ट्रेनों के संचालन में भी कुछ दिक्कतें आ सकती है, जिसको देखते हुए Indian Railway ने Guideline जारी कर दी है. संचालन में सबसे अहम शर्त यह है की ट्रैन में कम से कम 90 फीसदी यात्री होने जरूरी हैं।
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Railway Stations की सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकारों पर
Indian Railway ने राज्य सरकार को कहा है कि वह यात्रियों की पूरी जांच के बाद उन्हें टिकट दें और उनसे पैसे लेकर रेलवे को दे दें। रेलवे ने यह भी कहा है कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि सिर्फ वही लोग रेलवे स्टेशन के अंदर घुसें, जो जांच की प्रक्रिया से गुजर चुके हैं और जिनके पास वैध टिकट है। रेलवे स्टेशन पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यों की ही है।
90 फीसदी भरी होनी चाहिए ट्रेन
रेलवे ने कहा है कि हर श्रमिक स्पेशल ट्रेन एक नॉन-स्टॉप ट्रेन होगी, जो सिर्फ एक ही गंतव्य तक पहुंचेगी। सामान्य तौर पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों सिर्फ 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी। जब तक ट्रेन का गंतव्य यानी डेस्टिनेशन स्टेशन नहीं आ जाता, ये ट्रेन पूरे रास्ते में कहीं रुकेगी नहीं।
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पूरी ट्रेन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ (जिसमें मिडिल बर्थ नहीं है) करीब 1200 यात्रियों को बैठा सकती है। जिस राज्य से ट्रेन चल रही है, वह राज्य सीटों को देखते हुए ही यात्रियों को ट्रेन में बैठाए और ये सुनिश्चित करे कि ट्रेन में कम से कम 90 फीसदी लोग हों। यानी करीब 1100 लोग ट्रेन में हों।
स्थानीय राज्य सरकार अथॉरिटी पर होगी बड़ी जिम्मेदारी
गाइडलाइन में कहा गया है कि रेलवे उन्हीं डेस्टिनेशन के लिए उतनी ही टिकट प्रिंट करेगा, जितनी मांग राज्य सरकारों की तरफ से आएगी और वह टिकट स्थानीय राज्य सरकार अथॉरिटी को दे दी जाएंगी। यह स्ठानीय राज्य सरकार अथॉरिटी का काम होगा कि वह इन टिकटों को यात्रियों को दें और उनसे पैसे लेकर रेलवे को सौंपें।
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गाइडलाइन्स के अनुसार जिस स्टेशन से ट्रेन चलेगी, वहां की राज्य सरकार की तरफ से यात्रियों को खाने के पैकेट और पानी मुहैया कराया जाएगा। यह हर यात्री के लिए जरूरी होगा कि वह मास्क लगाए। राज्य सरकारों की तरफ से इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए और यात्रियों से मास्क पहनने के लिए कहना चाहिए।
डेस्टिनेशन वाली राज्य सरकार के लिए भी हैं नियम-कायदे
राज्य सरकार की तरफ से ही यात्रियों को आयोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कर के इस्तेमाल करने के प्रेरित किया जाना चाहिए। 12 घंटे से अधिक की यात्रा में एक वक्त का खाना रेलवे की तरफ से डेस्टिनेशन पर यात्री के पहुंचने पर उसे मुहैया कराया जाएगा।
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यात्रियों को राज्य सरकार अथॉरिटीज़ की तरफ से ही रिसीव किया जाएगा। राज्य सरकारें ही यात्रियों की स्क्रीनिंग, क्वारंटीन (अगर जरूरत हो तो) और स्टेशन से दूसरी जगहों तक जाने की व्यवस्था करेंगी।
रेलवे स्टेशन पर रिसीविंग स्टेट को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करनी होगी। अगर कहीं पर भी सुरक्षा या हाइजीन में कोई खामी पाई जाती है तो रेलवे कभी भी इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रद्द करने का अधिकार रखती है।
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