किस धर्म में पैदा हो रहे बच्चे सबसे अधिक बच्चे हिंदू या मुस्लिम? NFHS की रिपोर्ट जानें
सभी धर्मों में अब पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं। 2015-16 में किए गए चौथे नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) और पांचवें 2019 - 21, इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है।
जनसंख्या बढ़ रही, घट रही है या स्थिर है इस बात को लेकर लोगों के मन में अक्सर प्रश्न उठते रहते हैं। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की नवीन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत में बच्चे पैदा करने की रफ्तार कम हुई है। (National Family Health Survey) रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2% से घटकर 2% रह गई है। बच्चों की जन्मदर (Total Fertility Rate ) में गिरावट आयी है,और यह सभी धर्मों में पहले की तुलना में कम हुआ है। वहीं बेटियों के जन्म को लेकर देश में धीरे ही सही लेकिन सोच बदल रही है। देश में दो बेटियों वाली 65 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें बेटे की कोई ख्वाहिश नहीं है। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है।
अलग-अलग धर्मों में किस रफ्तार से बढ़ रही जनसंख्या
सभी धर्मों में अब पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं। 2015-16 में किए गए चौथे नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) और पांचवें 2019 - 21, इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उच्च प्रजनन दर वाले समूहों में तीव्रता से गिरावट देखी जा रही है। इस प्रकार, मुसलमानों में एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच 2.62 से 2.36 तक 9.9% की सबसे तेज गिरावट देखी गई है। यह दूसरे समुदायों की तुलना में अधिक है। 1992-93 में सर्वेक्षणों की शुरुआत के बाद से, भारत में TFR कुल प्रजनन दर 3.4 से 40% से अधिक गिरकर 2.0 हो गया है। साथ ही यह उस स्तर पर पहुंच गया है जो जनसंख्या आंकड़े को स्थिर रखे।
एक ही समुदाय के लिए TFR राज्यों के हिसाब से अलग
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि मुसलमानों के अलावा अन्य सभी प्रमुख धार्मिक समूहों ने अब प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Rate) से नीचे का टीएफआर हासिल कर लिया है। वहीं सर्वे के हर चरण में तेजी से गिरावट के बावजूद मुस्लिमों के बीच यह रेट थोड़ा अधिक है। एनएफएचएस के अब तक के पांच सर्वे में मुस्लिम टीएफआर (Total Fertility Rate) में 46.5 फीसदी की गिरावट आई है, हिंदुओं में 41.2 फीसदी और ईसाइयों और सिखों के लिए लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है।