Cheque Bounce : चेक बाउंस होने के बाद भी खाते से कटेगा पैसा, दूसरा अकाउंट भी नहीं खुलवा पाएंगे

Cheque Bounce : वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई थी, जिसमें चेक बाउंस को लेकर कई तरह के सुझाव दिए गए हैं।

Update: 2022-10-11 10:13 GMT

Cheque Bounce Latest News : चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार सख्ती से निपटने की तैयारी में है। गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई थी। उसमें कई तरह के सुझाव भी आए थे। आने वाले समय में अगर इसे अमल में लाया जाता है तो चेक बाउंस (Cheque Bounce) होने पर संबंधित व्यक्ति के दूसरे खाते से पैसा काटा जाएगा। ऐसे चेक जारी करने वालों को नया बैंक एकाउंट (New Bank Account) खोलने पर भी रोक (Ban) लगाई जा सकती है। उल्लेखनीय है कि देश की अदालतों में चेक बाउंस (Cheque Bounce) के लाखों मामले लंबित है। सरकार की मंशा है कि कानूनी प्रक्रिया से पहले ही कुछ कदम उठा कर इस तरह के मामलों पर रोक लगाई जाए। हालांकि ये सुझाव लागू करने से पहले सरकार कानूनी राय ले सकती है।

अभी क्या है प्रावधान

Cheque Bounce Ki Saja Kya Hai ? बताया गया है कि अभी चेक बाउंस (Cheque Bounce) से जुडे़ मामलों की सुनवाई नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act) के तहत की जाती है। यह एक दंडनीय अपराध है। दोष साबित होने पर चेक की राशि से दोगुना जुर्माना या दो साल तक की जेल या दोनों सजाएं हो सकती है। अदालतों में लंबित कुल आपराधिक मामलों में एनआईए एक्ट के मामलों की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है।

33 लाख से ज्यादा मामले लंबित

Cheque Bounce Ke Deshbhar Me Kitne Mamle Hain ? देश में 33 लाख 44 हजार से ज्यादा चेक बाउंस के मामले अदालतों में लंबित है। दिसंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक चेक बाउंस के सात लाख से भी ज्यादा मामले अदालत पहुंचे। सबसे ज्यादा चेक बाउंस के मामले महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और उत्तरप्रदेश के हैं।

सख्ती के लिए दिए गए ये सुझाव

Finance Ministry On Cheque Bounce : चेक बाउंस के मामलों को लेकर वित्त मंत्रालय की बैठक में जो सुझाव सामने आए हैं उसमें चेक जारी करने वाले के दूसरे खातों से पैसा काट लेना, चेक बाउंस के आरोपी के नए खाते खोलने पर पाबंदी, चेक बाउंस के मामले को कर्ज में चूक की तरह देखना, चेक बाउंस की जानकारी क्रेडिट स्कोर कंपनियों को देना, चेक जारीकर्ता के क्रेडिट स्कोर कम करना शामिल है।

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