CBSE के लाखो छात्रों के लिए बड़ी खबर, जानें नहीं गुल हो जायेंगे इंटरनल मार्क्स, बोर्ड ने लागू किया नया नियम
केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड सीबीएसई ने अब कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत होना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा नहीं करने वाले छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक काटे जाएंगे।
CBSE Guide Lines: केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड सीबीएसई ने अब कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत होना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा नहीं करने वाले छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक काटे जाएंगे। इसके लिए सीबीएसई ने सभी केन्द्रीय विद्यालयों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। बताया गया है कि अगस्त के पहले सप्ताह से इस पर निगरानी की जाएगी। जिन छात्रों की नियमित उपस्थिति नहीं होगी उनके आंतरिक मूल्यांकन में अंक कटेंगे। इस संबंध में सीबीएसई ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कार्रवाई को कहा है।
समीक्षा से हुआ खुलासा
बता दें कि सीबीएसई ने स्कूलों से 9वीं से 12वीं तक के छात्रों की उपस्थिति की जब समीक्षा की तो पता चला कि अधिकतर स्कूलों में 11वीं व 12वीं में 40 से 45 फीसदी छात्र ही नियमित स्कूल पहुंचते हैं। यही नहीं 9वीं से 10वीं में 55 फीसदी उपस्थिति रहती है। इस पर सुधार करने के लिए केन्द्रीय बोर्ड ने न सिर्फ कसावट शुरू कर दी है बल्कि आंतरिक मूल्यांकन के अंकों पर भी इसका असर पड़ेगा।
हर विषय का आंतरिक मूल्यांकन
बताया गया है कि नियमित तौर पर स्कूल नहीं आने वाले छात्रों की सूची संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाएगी। खास बात यह है कि महामारी के दौरान सीबीएसई ने उपस्थिति में छात्र-छात्राओं को छूट दी थी लेकिन अब संक्रमण जैसी कोई बात नहीं है। यही नहीं आदेश में यह भी कहा गया है कि हर विषय में 20 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन कराया जाता है जिसमें एक बिंदु छात्रों की उपस्थिति का भी होता है। बच्चे स्कूल नियमित आएं इसलिए अब इसमें सख्ती की जा रही है।
जुगाड़ कर दर्ज करा लेते थे उपस्थिति
बोर्ड परीक्षाओं में पढ़ाई के साथ-साथ छात्र और छात्राएं नीट, पीईटी, पीपीटी, आईआईटी सहित अन्य कम्पटीशन की परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए बाहर के कोचिंग सेंटरों में जुगाड़ से चले जाते थे और स्कूलों के कक्षाध्यापक से जुगाड़ कर उपस्थिति दर्ज करा लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। सीबीएसई बोर्ड ने जिस तरह से सख्ती बरतने का मन बनाया है यदि सही मॉनीटरिंग होती रही तो केन्द्रीय विद्यालयों की न सिर्फ छात्र संख्या में इजाफा होगा बल्कि परीक्षा परिणाम भी बेहतर होंगे।