UCC को लेकर अरविंद केजरीवाल बनाम भगवंत मान हो गया?
Arvind Kejriwal vs Bhagwant Mann over UCC: यूसीसी को लेकर पंजाब सीएम ने जो कहा वो दिल्ली सीएम को अच्छा नहीं लगेगा
UCC Arvind Kejriwal vs Bhagwant Mann: देश में समान नागरिक संहिता यानी UCC लागू करने पर मंथन चल रहा है. NDA के साथ AAP और BSP जैसी विरोधी पार्टियां भी अपनी-अपनी शर्तों पर UCC का समर्थन कर रही हैं, दबे-छिपे Congres भी देश में UCC को लागू करवाना चाहती है लेकिन अड़ंगा लगाने से भी पीछे नहीं हट रही है. UCC को लेकर पक्ष-विपक्ष में मतभेद हो तो समझ में आता है लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) में तो दो सबसे बड़े लीडर्स के मत ही मेल नहीं खा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि जैसे पंजाब सीएम भगवंत मान और दिल्ली सीएम अरविंद केजीवाल के बीच UCC को लेकर मनमुटाव हो जाएगा।
अरविंद केजरीवाल और AAP UCC का समर्थन कर रही है, लेकिन 4 जुलाई को पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत मान ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दे दिया है. उन्होंने कहा है कि- हर धर्म के अपने संस्कृति और रीति-रिवाज होते हैं, और उन आस्थाओं के साथ "छेड़छाड़" नहीं करना चाहिए
भगवंत मान ने UCC को लेकर क्या कहा
Bhagwant Mann On UCC: पंजाब सीएम ने यूसीसी को लेकर कहा-
हमारा देश एक गुलदस्ते की तरह है जिसमें हर रंग के फूल हैं. सिख के पास चार लावण हैं, मरने के बाद हमारे पास भोग है. हिंदू विवाह एक्ट में सात फेरों का प्रावधान है. सिखों का कहना है कि आनंद कारज दोपहर से पहले किया जाना चाहिए. वे आधी रात के आसपास फेरे के लिए मुहूर्त निकालते हैं. आदिवासियों के अलग रीति-रिवाज हैं, जैनियों के अलग. आप गुलदस्ता एक ही रंग का क्यों चाहते हैं? उन्हें सभी से बात करनी चाहिए और आम सहमति की दिशा में काम करना चाहिए.
मुझे नहीं पता कि वे इस तरह से छेड़छाड़ क्यों करते हैं. यह भाजपा का एजेंडा है - वह चुनाव के दौरान विभाजन करना चाहती है. AAP एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, हम चाहते हैं कि सभी एक साथ रहें. वे कहते हैं कि वे इसे संविधान के अनुसार लागू कर रहे हैं. संविधान क्या कहता है? संविधान कहता है कि यदि सामाजिक समानता है, तो यूसीसी लागू हो सकता है. लेकिन क्या सामाजिक तौर पर हम सब बराबर हैं? ऐसे बहुत से लोग हैं जो शिक्षित नहीं हो पाए, जिनके पास नौकरी नहीं है.
भगवंत मान ने अपनी पार्टी के उलट बयानबाजी कर दी है, उनके इस स्टेटमेंट से पहले AAP के जनरल सेक्रेटरी संदीप पाठक ने कहा था कि- हम सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करते हैं. अनुच्छेद 44 यह भी कहता है कि देश में यूसीसी होना चाहिए. लेकिन सभी धार्मिक नेताओं, राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ व्यापक परामर्श किया जाना चाहिए और आम सहमति बनाई जानी चाहिए. कुछ निर्णयों को पलटा नहीं जा सकता, कुछ मामले राष्ट्र के लिए मौलिक हैं.