5 साल में 405 विधायक बागी: 180 भाजपा में गए, सबसे अधिक कांग्रेस के विधायकों ने छोड़ी पार्टी
2016 से 2020 के बीच 405 विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टियों से बगावत की है. इसका सबसे अधिक फायदा भाजपा को हुआ है. जबकि सबसे अधिक नुकसान वाला दल कांग्रेस रहा है.
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के सियासी संकट गहराता जा रहा है. शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थन में 40 से अधिक विधायक आ गए. विधायकों के बागी होने के चलते राज्य की महाअघाड़ी सरकार के गिरने की संभावना बन रही है. माना जा रहा है कि सीएम उद्धव ठाकरे जल्द ही पद से इस्तीफा दे सकते हैं. वहीं जनता के चुने हुए एमएलए के बागी होने की एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आ रही है. महज 5 साल में यानि 2016 से 2020 के बीच 405 निर्वाचित विधायक बागी हुए हैं. इसका सबसे अधिक फायदा भाजपा को हुआ है. बागी होने वाले विधायकों की पहली पसंद भाजपा है. लगभग 45% विधायक भाजपाई हो गए. वहीं सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को हुआ है. कांग्रेस के 170 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मार्च 2021 में एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसके मुताबिक़, 5 सालों में 405 विधायकों ने अपनी अपनी पार्टी से बगावत की है. वहीं सबसे अधिक फायदा भाजपा को हुआ है. 405 बागी एमएलए में से 45% यानि 182 ने भाजपा ज्वाइन कर लिया. 38 यानि 9.4% ने कांग्रेस, 25 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति और 16 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 16 विधायक नेशनल पीपुल्स पार्टी में, 14 जेडीयू में, 11-11 विधायक बीएसपी और टीडीपी में शामिल हुए थे.
किस पार्टी के कितने विधायक बागी हुए
एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक़ 5 सालों में सबसे अधिक कांग्रेस के विधायक बागी हुए हैं. 170 विधायकों ने कांग्रेस से बगावत कर पार्टी छोड़ दिया. जबकि भाजपा के ऐसे 18 विधायक थे. BSP और TDP के 17-17 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी. वहीं, 5 साल में शिवसेना का एक भी ऐसा विधायक नहीं था, जिसने अपनी पार्टी को अलविदा कहा हो. लेकिन अब 2022 की तस्वीर अलग है. शिवसेना के विधायकों में भी बगावती तेवर तेज हो गए हैं.
बगावत के बाद महाराष्ट्र का गणित समझिये
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं. एक एमएलए के निधन के बाद अभी सदन में 287 विधायक हैं. सबसे अधिक 106 विधायक भाजपा के हैं, जबकि एनडीए के 114 विधायक. बागी होने के पहले महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के पास 153 विधायक हैं, इनमें शिवसेना के 55, एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं. महाराष्ट्र में सरकार बचाए रखने के लिए 144 विधायक चाहिए. हालांकि, एकनाथ शिंदे दावा कर रहे हैं कि उनके पास 40 से ज्यादा विधायक हैं. अगर ये बागी विधायक पाला बदलकर बीजेपी के पास जाते हैं, और अगर कर्नाटक और मध्य प्रदेश में जो हुआ, वही महाराष्ट्र में होता है तो उद्धव की सरकार भी गिर जाएगी. ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र में फिर से बीजेपी की सरकार बनना लगभग तय है.