रीवा: धान के अलावा अन्य फसलों का नहीं हो पाया बीमा, उड़द-मूंग व अन्य फसलों के नुकसान पर नहीं मिलेगा लाभ
रीवा (विपिन तिवारी ) । जिले के अधिकांशत: किसानों की धान फसल का ही बीमा हुआ है। अन्य फसलों का बीमा नहीं हो पाया है। रीवा जिले में धान के साथ ही उड़द, मूंग, अरहर की बोनी बहुतायत में होती है लेकिन इन फसलों का बीमा नहीं हो पाया है। सहकारी बैंक के किसानों की सिर्फ धान फसल का ही बीमा हो पाया है। अन्य बोई गई फसलों का बीमा न हो पाने के कारण किसानों में नाराजगी है।
उल्लेखनीय है कि शासन धान, सोयाबीन, उड़द, अरहर, मक्का फसल के साथ ही मोटाअनाज को फसल बीमा के लिए अधिसूचित फसल में तो रखा गया है, लेकिन जिले में धान के अलावा अन्य फसलों की बोनी नगण्य माना गया है। जिले में सर्वाधिक धान की बोनी मानते हुए केवल धान को अधिसूचित फसल में शामिल किया गया है। इस लिए धान फसल का ही बीमा किया जा रहा है।
बता दें कि जिले में राजस्व अभिलेख में लगभग चार लाख खाताधारक हैं, जिसमें साढ़े तीन लाख किसान हैं। इनमें से एक लाख 59 हजार किसान सहकारी समितियों से जुड़े हैं जबकि 75 हजार से अधिक किसान राष्ट्रीय कृत बैंकों से कृषि ऋण लेकर खेती करते हैं।
इन किसानों के फसल बीमा की जिम्मेदारी संबंधित बैंक को सौंपी गई है। यानी ऋण धारक किसानों का बीमा प्रीमियम संबंधित बैंक को अदा करना है। कुछ किसान जो किसी बैंक के माध्यम से नहीं, अपितु बाजार से नकद खाद बीज खरीदते हैं उन्हें अपनी फसल का बीमा स्वयं कराना है। खरीफ सीजन में शासन द्वारा जिला स्तर पर अधिसूचित फसलों में उपराक्त सभी फसल थी लेकिन तहसील स्तर में उक्त फसलें थी ही नहीं।
जानकारों ने बताया कि तहसील में राजस्व सर्किल स्तर पर भी अधिसूचित फसलेेंं तय थीं। रीवा जिले में हनुमना तहसील में मक्का फसल थोड़ा बहुत थी, इसी तरह जवा में भी। लेकिन अन्य फसलें न के बराकर दो चार सर्किल में ही थी। बताया गया है कि नईगढ़ी-मनगवां में केवल धान फसल को ज्यादा रकबे में अधिसूचित माना गया था, लेकिन यहां उड़द मूग व अन्य फसलों को शामिल ही नहीं किया गया। लिहाजा किसानों की केवल धान फसल का ही बीमा हो पाया अन्य फसलों का हो ही नहीं पाया।