एमपी के सचिन ने नौकरी छोड़ शुरू किया खुद का बिज़नेस, अब करोड़ो के टर्नओवर के साथ हैं कई कंपनियों के मालिक, जानिए इनकी 'सफलता की कहानी'
कोई भी युवा अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से ‘‘जहां चाह वहां राह’’ कहावत को चरितार्थ करते हुए स्व-रोजगार में सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ सकता है।
Sachin Singh Chandel News: कोई भी युवा अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से ''जहां चाह वहां राह'' कहावत को चरितार्थ करते हुए स्व-रोजगार में सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ सकता है। ऐसे ही सामान्य कृषक परिवार के युवक सिलपरा के सचिन सिंह चंदेल (Sachin Singh Chandel) ने स्व-रोजगार की योजनाओं के माध्यम से आर्थिक गतिविधि के क्षेत्र में सफलता हासिल कर युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत और उदाहरण बने हैं। सचिन कभी एक कंपनी के अधीन नौकरी करते थे। आज कई कारखानों और उद्यमों के मालिक बनकर 300 से अधिक लोगों को नौकरी दे चुके हैं।
सचिन सिंह की कहानी उनके धैर्य और कुछ कर गुजरने की तमन्ना को प्रमाणित करती है। वर्ष 2008 में एक बड़े ग्रुप में प्राइवेट नौकरी करते हुए सचिन को नौकरी रास नहीं आई। परिवार चलाने का खर्च ज्यादा, नौकरी में वेतन कम और मेहनत ज्यादा थी। लिहाजा उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने पर फिर वही अंधकारमय भविष्य और आजीविका की चिंता पर सचिन ने हिम्मत नहीं हारी और अपने ननिहाल चुरहट में रहते हुए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से पत्नी श्रीमती रिचा सिंह के नाम जिला व्यापार उद्योग केंद्र सीधी में आवेदन किया। साक्षात्कार के बाद प्रकरण मंजूर होने पर एसबीआई चुरहट के तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने बैंक की क्रेडिट खत्म होने की मजबूरी बताकर वर्ष भर लोन नहीं दिया और अंततः प्रकरण वापस कर दिया।
सचिन निराश नहीं हुए। वे जिला उद्योग व्यापार केंद्र के महाप्रबंधक यूबी तिवारी से मिले। उन्होंने मदद की और प्रकरण पुनः एसबीआई चुरहट भेजा। इस बार शाखा प्रबंधक दूसरे पदस्थ हो चुके थे। उन्होंने आवश्यक पहल करते हुए वर्ष 2010 में सचिन सिंह की पत्नी रिचा सिंह को ''जीएस इंडस्ट्रीज चुरहट'' के नाम से ऋण स्वीकृत कराया। बस यहीं से सचिन की प्रगति का रास्ता खुला। फिर वह अनवरत विकास के सोपान पर बढ़ते रहे। किसी काम को करने में कठिनाइयां आती हैं, लेकिन लक्ष्य के प्रति लगातार कोशिश करें तो सफलता मिलती है।
इसके बाद तो सचिन के उद्योग क्षेत्र में प्रगति के ऐसे दरवाजे खुले कि 2 वर्षों के अंतराल में उन्होंने कई उद्यम इकाइयां स्थापित की। वर्ष 2014 में रामपुर बघेलान में सतना राइस मिल, वर्ष 2016 में रामपुर बघेलान में सतना शॉ मिल की इकाइयां स्थापित की। इसके साथ तीन टोल प्लाजा सांची-भोपाल, कानपुर-छतरपुर और भीलवाड़ा में भी काम शुरू किया।
सचिन की सफलता की कहानी यहीं नहीं रुकी। उन्होंने इसके बाद 2020 में 11 हजार मीट्रिक टन क्षमता के दो वेयरहाउस रामपुर बघेलान के बांधा में बनवाये। इसके साथ ही वर्ष 2022 में रामपुर बघेलान के ग्राम बांधा में ही 26 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से ''स्काईलार्क पाली इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड'' भी स्थापित की है।
सचिन की सफलता की एक वजह यह भी है कि वह स्व-रोजगार के लिए मिले हुए ऋण को हमेशा समय पर चुकाते रहे हैं। लिहाजा उन्हें ऋण प्रदाय के लिए बैंकों की ओर से ऑफर मिलने लगे। पहला ऋण 25 लाख रुपए का ऋण लेने में एक वर्ष का समय जरूर लगा, क्योंकि बैंक को उनकी क्रेडिट नहीं पता थी। सफल उद्यमी सचिन सिंह जो कभी एक कंपनी के नौकर हुआ करते थे। आज उनके उद्यमों में 300 से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष रूप से नौकरी पर रखे हुए हैं। कल के नौकर आज मालिक की प्रतिष्ठा में है।
सफल उद्यमी सचिन सिंह का युवाओं से कहना है कि प्रथम पीढ़ी के युवा उद्यमी अर्थात जो पहली बार इस क्षेत्र में उतर रहे हैं, उन्हें ऋण देने में बैंक प्रथम बार जरूर संकोच करते हैं। लेकिन ऋण की समय पर वापसी करने पर कोई भी बैंक आपकी साख के अनुसार ऋण देने हमेशा तत्पर हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिला व्यापार उद्योग केंद्र एक अच्छे सहयोगी मित्र के रुप में युवाओं का स्वरोजगार स्थापित करने में अपनी अहम भूमिका निभाता है।