Maheshwar Dam: एमपी के महेश्वर बांध के गेट टूटने का खतरा, 25 गांवों में होगी बर्बादी
MP Khargone News: एमपी के खरगोन जिले में स्थित महेश्वर बांध के गेट गिरने की आशंका जताई जा रही है.
MP Khargone News: एमपी में तैयार किए गए डैमों के गुणवत्ता की पोल लगातार खुलती जा रही है। प्रदेश के कारम डैम (Karam Dam) टूटने का मामला शांत भी नही हुआ था कि खरगोन जिले (Khargone District) में स्थित महेश्वर बांध (Maheshwar Dam) के गेट गिरने की आशंका जताई जा रही है। अगर डैम का गेट गिरेगा तो तकरीबन 25 गांव बर्बाद हो जाएंगे।
मेंटेनेंस के आभाव में बनी स्थित
बताया जा रहा है कि डैम के गेट की यह स्थिति इसलिए निर्मित हुई क्योंकि अधिकारियों ने नियमानुसार बांध के दरवाजों का मेंटेनेंस नहीं किया और सरकार ने इसकी समीक्षा नहीं की। तो वहीं लगातार हो रही भारी बारिश के कारण दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में कमजोर दरवाजे कभी भी टूट सकते हैं।
फेल हो सकता है सिस्टम
जो खबरें आ रही है उसके तहत सभी दरवाजे हाइड्रोलिक सिस्टम के तहत खुले हुए हैं। इन्हें अधिक समय तक खुला नहीं रखा जा सकता। 1 दरवाजे का वजन 2250 क्विंटल है। इंजीनियर का कहना है कि हाइड्रोलिक सिस्टम कभी भी फेल हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बांध में पानी भरना शुरू हो जाएगा। इसके कारण बांध के पीछे वाले लगभग 25 गांव में बिना बारिश बाढ़ आ जाएगी।
25 गांव हो सकते है प्रभावित
बांध का गेट ठीक नही किया गया तो इससे कसरावद तहसील ग्राम पंचायत अमलाथा, नाहरखेड़ी, तेलयांव, भटयाण बुजुर्ग, महेश्वर तहसील के सुलगांव, पथराड़, गोगावां और बड़वाह तहसील के नगावा, मर्दाना, बकावा मुख्य रूप से प्रभावित होंगे।
बांध के पानी से बनती है बिजली
जानकारी के तहत महेश्वर बांध (Maheshwar Dam) से 400 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है। इस बांध का निर्माण बिजली उत्पादन के लिए किया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार बांध का पाट लगभग 750 मीटर चौड़ा है। बांध के स्पिल-वे क्षेत्र में 27 रेडियल गेट लगे हैं।
बांध के गेट को लेकर सीनियर इंजीनियरों ने गिरने की जहां आशंका जताई है वही जिला प्रशासन का कहना है कि एक गेट गिरने से फिलहाल कोई खतरा नहीं है, जबकि अन्य गेटों का निरीक्षण किया जा रहा है। परियोजना का कार्य करने वाली कंपनी बैंक डिफॉल्टर है।
विवादों में रहा बाध
महेश्वर जल विद्युत परियोजना का काम नर्मदा वैली विकास प्राधिकरण के द्वारा शुरु किया गया था। शुरुआती दौर में इसकी लागत 465 करोड़ थी, जो 2018 में बढ़कर 8000 करोड़ तक पहुंच चुकी थी। इसका काम 1997 में शुरू हो गया था, लेकिन 2001 में निर्माण कंपनी एस. कुमार्स ने वित्तीय कमजोरी की वजह से कार्य रोक दिया था। 2005 में पॉवर फाईनेंस कार्पोरेशन की अगुवाई में कुछ और समूहों और राज्य शासन ने मिलकर इसका काम शुरू करवाया, जो 2011 तक चला। फिलहाल महेश्वर बांध का काम सरकार के पास है।