एमपी में पूर्व कलेक्टर समेत 6 अधिकारियों को जेल, विशेष लोकायुक्त कोर्ट ने सुनाया फैसला
MP News: मध्यप्रदेश में पूर्व कलेक्टर समेत 6 अधिकारियों को जेल की सजा सुनाई गई है। विशेष लोकायुक्त कोर्ट ने मामले में शनिवार को फैसला सुनाया।
मध्यप्रदेश में पूर्व कलेक्टर समेत 6 अधिकारियों को जेल की सजा सुनाई गई है। विशेष लोकायुक्त कोर्ट ने मामले में शनिवार को फैसला सुनाया। मनरेगा और समग्र स्वच्छता अभियान में प्रिंटिंग सामग्री का 27.71 लाख रुपए अधिक भुगतान करने पर झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ सहित 6 अफसरों को चार-चार साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने भोपाल के प्रिंटर्स को भी दोषी माना और उसे भी 7 साल की सजा दी है।
यह है मामला
मनरेगा और समग्र स्वच्छता अभियान में प्रिंटिंग सामग्री का 27 लाख रुपए से अधिक भुगतान करने का यह मामला है। आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर लोकायुक्त पुलिस इंदौर से इसकी शिकायत मेघनगर के प्रिंटर राजेश सोलंकी ने की थी। जिसमें बताया गया था कि अगस्त से नवंबर 2008 के बीच जो शासकीय छपाई का कार्य हुआ उसके एवज में भोपाल के राहुल प्रिंटर्स को 33.54 लाख रुपए का भुगतान किया गया। जबकि यह कार्य 5,83,891 रुपए में ही हो सकता था। ऐसे में शासन को 27 लाख 70 हजार 725 रुपए का चूना लगाया गया।
9 लोगों को बनाया गया था आरोपी
इंदौर लोकायुक्त को पूरा मामला जांच के लिए भेजा गया था। जिसमें पुष्टि होने पर लोकायुक्त पुलिस ने झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा समेत 9 लोगों को आरोपी बनाया था। विशेष न्यायालय में परिवाद दायर कर इन सभी पर मुकदमा चलाया गया। इस मामले में विशेष लोकायुक्त कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ सहित 6 अफसरों को चार-चार साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने भोपाल के प्रिंटर्स को भी दोषी मानते हुए 7 वर्ष की सजा सुनाई है। सातों दोषियों को जमानत नहीं मिलने पर जेल भेज दिया गया। हालांकि कोर्ट ने सरकारी प्रेस के दो तत्कालीन अफसरों को बरी कर दिया।
घोटाले में इन्होंने निभाई भूमिका
प्रिंटिंग सामग्री घोटाले में इन्होंने अपनी भूमिका निभाई। तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा द्वारा जिस दिन छपाई के ऑर्डर की फाइल आई, उसी दिन मंजूर की। तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत जगमोहन धुर्वे फाइल मिलते ही उसी दिन अनुमोदन कलेक्टर को भेजा। तत्कालीन परियोजना अधिकारी (तकनीकी) रोजगार गारंटी योजना नाथू सिंह तंवर ने सरकारी प्रेस से छपाई करवाने के लिए फाइनल का अनुमोदन कर वरिष्ठ लेखाधिकारी और सीईओ को भेजा। तत्कालीन जिला समन्वयक अमित ने आदेश सरकारी प्रेस की जगह राहुल प्रिंटर्स को भेजा। तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी जिला पंचायत सदाशिव डावर ने दूसरे दिन फाइल सीईओ को भेजी। भोपाल स्थित राहुल प्रिंटर्स के मालिक मुकेश शर्मा ने पूरा छपाई का काम किया और 27.71 लाख का अतिरिक्त लाभ लिया।
दो तत्कालीन अफसरों को किया बरी
कोर्ट ने दो तत्कालीन अफसरों शासकीय मुद्रक एवं लेखन सामग्री उप नियंत्रक एके खंडूरी और देवदत्त को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। जगदीश शर्मा, जगमोहन, नाथू सिंह और सदाशिव रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पूर्व कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ जैसे बड़े अफसर रह चुके दोषियों ने जमानत के लिए प्रयास क्यों नहीं किया। वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि पूर्व अफसरों को अंदेशा नहीं होगा कि उन्हें सजा मिलेगी। जिससे उन्होंने जमानत के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए।