अब कार खरीदना होगा और महंगा, 10 हजार तक लगेगी स्टाम्प ड्यूटी, एमपी केबिनेट से मंजूरी मिली
Indian Stamp Act MP Amendment Bill 2022: स्टाम्प एक्ट बिल को कैबिनेट की मंजूरी, विधानसभा में पेश होगा, 10 से 50 लाख तक के कार लोन पर 10 हजार रुपए स्टाम्प ड्यूटी फिक्स
Indian Stamp Act MP Amendment Bill 2022 : भोपाल. बैंकों के लोन ट्रांसफर के साथ कार के कर्ज पर स्टाम्प ड्यूटी की दरों में बदलाव कर दिया गया है. 10 लाख से 50 लाख तक के कार लोन पर 10 हजार रुपए और बैंक का कर्ज ट्रांसफर करने पर एक हजार रुपए ड्यूटी देनी होगी. इसके साथ ही कुछ बदलावों के साथ भारतीय स्टाम्प (मप्र (संशोधन) बिल 2022 को मध्यप्रदेश कैबिनेट (MP Cabinet) की मंजूरी दे दी गई. अब इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा. कैबिनेट ने वैट के मामले में भी व्यापारियों को राहत दी है. कई मामलों में कोर्ट का दखल हटाकर विभाग के अधिकारियों को ही पैनल्टी लगाने का अधिकार दिया जा रहा है. इसके लिए मप्र वैट (संशोधन) बिल 2022 को भी कैबिनेट ने पास कर दिया.
विभाग का मानना है कि स्टाम्प ड्यूटी में किए गए बदलावों के बाद उपभोक्ता को आसानी होगी. स्टाम्प व वैट संशोधन के साथ ही दो और बिल मप्र काष्ठ चिरान विनिमय संशोधन विधेयक 2022 व मप्र माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2022 भी मंजूर हुआ है.
यह होगा स्लैब
1. आर्टिकल 7- कार लोन के साथ अभी यह 0.25% ड्यूटी लगती है. लेकिन अब चल संपत्ति जिसे गिरवी रखने की एवज में लिए गए कर्ज पर ड्यूटी की दर इस प्रकार होगी.
- 50 हजार - 50 रुपए
- 50 हजार से 5 लाख तक - 500 रुपए
- 5 लाख से 10 लाख तक - 2 हजार
- 10 लाख से 50 लाख तक - 10 हजार
- 50 लाख रुपए से अधिक - अधिकतम 7.50 लाख या 0.25 प्रतिशत
2. आर्टिकल 7- प्रॉपर्टी के री डेवलपमेंट पर भी अब 0.25% ड्यूटी लगेगी.
3. आर्टिकल 13- बैंक गारंटी रिन्युएबल पर अभी 0.25% या 20 हजार रुपए अधिकतम राशि लगती थी. अब यह 1000 रुपए है.
4. आर्टिकल 25- बैंक लोन ट्रांसफर करने पर लगने वाली राशि पर ड्यूटी अभी 0.25% है. इसे अब 1000 रु. किया गया है.
5. आर्टिकल 38- लीज एग्रीमेंट राशि पर ड्यूटी भी तय कर दी गई है. एक साल तक की लीज पर यह 500 रु. फिक्स होगी. इसके बाद एक से 5 साल और इससे अधिक पर ड्यूटी पूर्ववत 5% तक
वैट के मामले में व्यापारियों को राहत, कोर्ट का दखल भी घटाया
यदि व्यापारी स्टेटमेंट फाइल नहीं करता या रिटर्न में गलती करता है तो पहले यह मामला कोर्ट तक चला जाता था. नए संशोधन में यह विवाद निपटाने का अधिकार विभागीय अधिकारियों का होगा. वे अधिकतम 50 हजार रुपए तक पैनल्टी लगा सकेंगे. यह जरूर है कि ऐसे किसी निर्णय से यदि व्यापारी संतुष्ट नहीं होता है. तो वह कोर्ट जा सकेगा.