मध्य प्रदेश में नए सिरे से होगा तहसील, ब्लॉक, जिला और संभागों का सीमांकन

मध्य प्रदेश की सरकार जिला, संभाग, तहसील और ब्लॉक की प्रशासनिक इकाइयों का भौगोलिक आधार पर पुनर्गठन करने जा रही है। अक्टूबर 2024 तक इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे। जानें इसके कारण और प्रभाव के बारे में. ..;

Update: 2024-09-04 10:54 GMT

मध्य प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक इकाइयों के भौगोलिक पुनर्गठन का निर्णय लिया है, जो अक्टूबर 2024 के अंत तक लागू होने की संभावना है। इस पुनर्गठन के अंतर्गत जिला, संभाग, तहसील और ब्लॉक की सीमाओं को नए सिरे से तय किया जाएगा, जिससे जनता को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं मिल सकें। इसके लिए प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया है, जिसकी नियुक्तियों के लिए तैयारी जोरों पर है।

वर्तमान में बीना और जुन्नारदेव जैसे क्षेत्रों में नए जिलों की मांग तेज हो गई है। बीना-खुरई क्षेत्र में लोग सड़कों पर उतर चुके हैं, क्योंकि वर्तमान प्रशासनिक इकाइयों की सीमा निर्धारण में कई खामियां हैं। कई गांवों और पंचायतों के लोगों को अपने जिला, संभाग या तहसील मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है, जबकि उनके आसपास के मुख्यालय नजदीक हैं।

खामियां और समस्याएं

  1. बुदनी तहसील की समस्याएं: वर्तमान में बुदनी तहसील का जिला मुख्यालय सीहोर है। हालांकि, भौगोलिक दृष्टि से यह नर्मदापुरम जिले से सटा हुआ है। इसके बावजूद, बुदनी क्षेत्र के लोगों को अपने जिला मुख्यालय के कामों के लिए सीहोर तक यात्रा करनी पड़ती है।
  2. सांची की स्थिति: सांची का जिला मुख्यालय रायसेन है, लेकिन विदिशा भौगोलिक दृष्टि से सांची के करीब है। इससे सांची और आसपास के लोगों को जिला मुख्यालय के कामों के लिए रायसेन की ओर यात्रा करनी पड़ती है।

बीना का मामला

1968 से बीना को एक अलग जिला बनाने की मांग उठ रही है। क्षेत्रीय विधायक निर्मला सप्रे ने भी यह मांग विधानसभा में उठाई थी। हालांकि, बीना को जिला बनाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी थी, लेकिन अन्य जिलों की मांगों के बढ़ने से बीना का मामला फिलहाल अटक गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व में बने कुछ जिलों और इकाइयों की सीमाओं में समस्याएं हैं, जिससे आम जनता को असुविधा हो रही है। इस पर निर्णय अब प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।

आयोग की संरचना

प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग में राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों क्षेत्रों के अधिकारी शामिल होंगे। अधिकारियों की नियुक्ति पहले ही तय की जा चुकी है, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र से किन्हें शामिल किया जाएगा, इसका निर्णय अभी बाकी है।

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