बांधवगढ़ जंगल के प्राचीन किले और यहां मौजूद हज़ारों साल पुरानी भगवान विष्णु की मूर्ति का रहस्य आपको जानना चाहिए
बांधवगढ़ किला का इतिहास: मध्य प्रदेश में बाघों का गढ़ कहे जाने वाले बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एक हज़ारों साल पुराना प्राचीन किला है, ऐसा कहा जाता है बांधवगढ़ किले का निर्माण भगवान श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण के लिए करवाया था
History Of Bandhavgarh Fort Vishnu Idol: मध्य प्रदेश में मौजूद 488 वर्ग किमी में फैले बांधवगढ़ नेशनल पार्क ना सिर्फ बाघों के गढ़ के लिए विख्यात है, बल्कि इसका ताल्लुख भारत के प्राचीन इतिहास और सनातन धर्म से भी है. बांधवगढ़ में एक रहस्य्मयी प्राचीन किला है और उस किले के परिसर में भगवान विष्णु की अद्भुत प्रतिमा है जो हज़ारों साल पुरानी है. ऐसा कहा जाता है कि जब सनातनियों के आराध्य भगवान श्री राम लंका से विजय होकर वापस अपने राज्य आए थे तब उन्होंने बांधवगढ़ में अपने भाई लक्ष्मण के लिए एक विशाल किले का निर्माण कराया था.
MP Tourism: इतिहास के पन्नों में इस किले के निर्माण का जिक्र मिलता है, वहीं सनातनी धर्म ग्रंथों में भी बांधवगढ़ किले का उल्लेख है. यह किला और यहां विश्राम मुद्रा में मौजूद भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा जितनी पुरानी है उतनी ही रहस्य्मयी है. बांधवगढ़ किले को लेकर कई किवदंतियां भी प्रचलित हैं, और इस किले से जुडी कई कहानियां हैं.
बांधवगढ़ किले का इतिहास
बांधवगढ़ किले का निर्माण किसने कराया था
Who built Bandhavgarh Fort: बांधवगढ़ किले का मध्य प्रदेश के जिले और विंध्य राज्य की राजधानी रहे रीवा जिले से गहरा नाता है. इस किले का इतिहास रीवा राजघराने से जुड़ा है. बांधवगढ़ किले का निर्माण महाराजा व्याघ्रदेव ने कराया था.
महाराजा व्याघ्रदेव का इतिहास
History of King Maharaja Vyaghradev: महाराजा व्याघ्रदेव ने सन 1234 में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में बघेल वंश की स्थापना की थी, उन्होंने अपने साम्राज्य की शुरुआत एक किले से की थी जो पहले महोबा के चंदेल साम्राज्य से ताल्लुख रखता था, महाराजा व्याघ्रदेव ने कालिंजर और मंडीहा के साथ गहोरा साम्राज्य से जंग करके उनका साम्राज्य अपने कब्जे में ले लिया था, बाद में उन्होंने गहोरा को अपनी राजधानी बना ली थी, जिसे गहोरा ख़ास और गहोर पति के रूप में 2 भागों में विभाजित कर दिया था. महाराजा व्याघ्रदेव की मृत्यु सन 1245 में हुई थी.
लेकिन बांधवगढ़ के किले का जिक्र महाराजा व्याघ्रदेव के जन्म लेने से पहले भी होता रहा है, ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण के लिए कराया था. महाराजा व्याघ्रदेव द्वारा इस किले की नींव रखी थी यह कहना सही नहीं होगा क्योंकि बांधवगढ़ किले का उल्लेख 'नारद पंच' और 'शिवपुराण' में मिलता है जो हज़ारों साल पहले लिखे गए थे.
बांधवगढ़ किले में कितने राजवंशों ने राज किया
बांधवगढ़ किले में तीसरी शताब्दी के बाद माघा राजवंश, फिर वकाटका, उसके बाद पांचवी शताब्दी से लेकर सेंगर और दसवीं शताब्दी से कलचुरी वंश ने राज किया था, इसके बाद बघेल वंश के महाराजा ने रीवा को अपनी राजधानी बनाई थी और 1635 में किला को छोड़ दिया था।
बांधवगढ़ किले की सुरंग
बांधवगढ़ किले तक जाना अपने आप में बड़ी चुनौती है, क्योंकि यहां जाने का रास्ता जंगली है जहां बाघ अपना डेरा जमाए रहते हैं. इस किले में एक विशाल सुरंग है जो सीधा रीवा में मौजूद रीवा फोर्ट में निकलती है. ऐसा कहा जाता है कि रीवा के अखीरी राज करने वाले राजा 'महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव और उनके पिता गुलाब सिंह जूदेव' इस सुरंग का इस्तेमाल युद्ध की गुप्त रणनीति बनाने के लिए करते थे, यह एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचने का खुफिया रास्ता था.
बांधवगढ़ में भगवान विष्णु की प्रतिमा का इतिहास
History of Lord Vishnu Statue in Bandhavgarh: बांधवगढ़ किले परिसर में मौजूद हज़ारों साल पुरानी छीर सागर में विराजी भगवान विष्णु की विश्राम करती हुई प्रतिमा है, ऐसा कहा जाता है कि यह प्रतिमा 2 हज़ार साल पुरानी है लेकिन यह उससे भी ज़्यादा प्राचीन हो सकती है. क्योंकि भारत और सनातन धर्म का वजूद तब है जब बाकी दुनिया के लोग बर्बर हुआ करते थे तब यहां विकसित मानवों की कई सभ्यताए थीं. इसी लिए इन प्राचीन धरोहरों के प्रारंभिक अस्तित्व के बारे में कोई नहीं जनता।
यहां भगवान विष्णु के सभी दशावतार की प्रतिमाए भी हैं जिन्हे किला में देखा जा सकता है, विश्राम मुद्रा में मौजूद भगवान की प्रतिमा के बगल में विशाल शिवलिंग भी स्थापित हैं.
बांधवगढ़ में भगवान विष्णु की प्रतिमा का रहस्य
Mystery of Lord Vishnu's statue in Bandhavgarh: बांधवगढ़ के जंगलो के बीच मौजूद किले में स्थापित इतिहास से भी प्राचीन भगवान विष्णु की प्रतिमा जितनी पुरानी है उतनी ही रहस्य्मयी भी है. 12 मीटर लम्बी भगवान की प्रतिमा को एक पत्त्थर तराश के बनाया गया था, प्रतिमा का सिर पूर्व की तरफ और भगवान के चरण पश्चिम की ओर हैं जहां चरण गंगा (Charan Ganga) नदी भगवान के चरणों को पाने पवित्र जल से होकर गुजरती है। चरण गंगा नदी को बांधवगढ़ की जीवन रेखा कहा जाता है.
सैलानी यहां आकर चकित रह जाते हैं, और वैज्ञानिक यहां पहुंचकर इसके रहस्य को सुलझाने का प्रयास करते हैं, कई बार History TV, Discovery Chanel और National Geographic Chanel के खोजकर्ता यहां पहुचें हैं और किले और प्राचीन प्रतिमा के बारे में कई बार डॉक्यूमेंट्री बनाई है.
बांधवगढ़ किला कहाँ है और कैसे जाएं
बांधवगढ़ नेशनल पार्क के अंदर बांधवगढ़ किला है, और थीं विष्णु भगवान की प्राचीन प्रतिमा है. मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में पड़ता है. जो एमपी की राजधानी भोपाल से 502 किमी है. और रीवा जिले से सिर्फ 2 घंटे की दूरी पर है. आप बांधवगढ़ को Best Tourist Place In Madhya Pradesh कह सकते हैं मतलब मध्य प्रदेश का सबसे अच्छा पर्यटन स्थल है जहां आपको विभिन्न प्रकार के जंगली प्राणियों को देखने का आनंद मिला है.