किसान ने निगला जहर, कहा जिंदा किसानों की तो कोई नहीं सुनता, शायद मरने के बाद हो सुनवाई..
नई दिल्ली। डेढ़ महीने से चल रहा किसानों का आंदोलन समप्त नही हो रहा है। कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। इसी बीच ओदोलन कर रहे किसनों में आक्रोश
किसान ने निगला जहर, कहा जिंदा किसानों की तो कोई नहीं सुनता, शायद मरने के बाद हो सुनवाई..
नई दिल्ली। डेढ़ महीने से चल रहा किसानों का आंदोलन समप्त नही हो रहा है। कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। इसी बीच ओदोलन कर रहे किसनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कई किसान तो आंदोलन के साथ ही आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। टिकरी बार्डर पर 19 जनवरी को मुख्य मंच के पास एक किसान ने जहर खा लिया। देर रात किसान को असपताल मे भर्ती करवाया गया लेकिन उसने दम तोड़ दिया। वही मरने के पहले किसान का कहना था कि जिंदा में कोई नहीं सुनता शायद मरने के बाद ही कोई सुन ले।
कृषि कानून के विरोध में 56 दिनों से किसान दिल्ली में डटे हुए हैं।
बुधवार 20 जनवरी को 10वें दौर की वर्ता होने वाली है। इसी बीच मंगलवार को टिकरी वार्डर पर रोहतक निवासी जय भगवान नाम के किसान ने जहर खा लिया। देर रात किसान केा संजय गांधी अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहा इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं धरने में शमिल सिरसा के किसान हरप्रीत सिंह को मिर्गी का दौरा आ गया। साथ मे उन्हें खून की उल्टी भी लगी। इन्हे भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है।
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किसान जयभगवान ने जहर निगलने के पहले एक एक पत्र लिखा है। पत्र में जयभगवान का कहना है कि केन्द्र सरकार सभी राज्यों के दो-दो किसान नेताओं से बात मीडिया के सामने करे। अगर ज्यादा राज्यों के किसान बिल के पक्ष में हो तो किसानों केा आदोलन समाप्त कर देना चाहिए। और अगर किसान नेता बिल का विरोध करते हैं तेा सरकार भी तीनो बिल को वापस ले लेना चाहिए। वहीं हालत बिगडने पर किसान जयभगवान का कहना था कि जीते जी तो सरकार किसानों की नहीं सुन रही है। मरने के बाद शायद सुन ले।