Electric Car: नई EV कार खरीदने की जरूरत नहीं, पुरानी कार को भी इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करा सकते हैं, 74 पैसे प्रति किमी की दर से दौड़ेगी
नया इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने की जरूरत नहीं है. अब आपकी पुरानी फ्यूल वाली कार भी ईवी में कन्वर्ट हो सकती है.
देश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की आर्थिक व्यवस्था गड़बड़ कर दी है. इसी के चलते इन दिनों देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) का प्रचलन भी बढ़ गया है. कई ऐसी ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनियां हैं, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बना रही हैं. लेकिन अब आपको नया इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने की जरूरत नहीं है, अगर आपके पास पुरानी कार (Old Car) है तो उसे भी आप इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) में कन्वर्ट करवा सकते हैं. इसके लिए देश भर में कई कंपनियां सस्ते दामों में फ्यूल व्हीकल को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट करने का काम कर रही हैं.
जी हां, टू-व्हीलर की तरह ही अब फ्यूल वाली कारों और वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट (convert fuel car to electric) कराया जा सकता है. सबसे ख़ास बात यह है कि इसके बाद न सिर्फ आपकी कार प्रदूषण मुक्त हो जाएगी बल्कि 100 रूपए में 15 किमी का माइलेज देने वाली से 74 पैसे प्रति किमी की रेंज देने वाली कार बन जाएगी.
हर महीने इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री लगातार बढ़ रही है. टाटा की मानें तो 2025 तक उसकी कुल वाहनों की बिक्री में 25% इलेक्ट्रिक व्हीकल होंगी. फिलहाल सबसे ज्यादा बिकने वाली फोर व्हील इलेक्ट्रिक व्हीकल टाटा की नेक्सॉन ईवी (Tata Nexon EV) है, जिसकी एक्स शो रूम कीमत 14 लाख रूपए से भी अधिक है. ऐसी कीमतें आम आदमी के लिए महंगा सौदा साबित होती हैं. इस वजह से कुछ कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में कन्वर्ट करने का काम शुरू किया है.
यानि अगर आपका बजट नया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की अनुमति नहीं देता तो भी आप इलेक्ट्रिक वाहन चला सकते हैं. हम आपको बता रहें हैं कि पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट कराने में कितना खर्च आएगा, क्या वारंटी मिलेगी, कार की रेंज कितनी होगी एवं प्रतिदिन आपकी जेब में कितना असर पड़ेगा.
ये कंपनियां फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट करती हैं
फ्यूल (पेट्रोल-डीजल) वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने का काम ज्यादातर हैदराबाद स्थित कंपनियां कर रही हैं. इनमें ईट्रायो (etrio) और नॉर्थवेएमएस (northwayms) प्रमुख हैं. ये दोनों ही कंपनियां किसी भी तरह, किसी भी कंपनी की फ्यूल वाली कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करती हैं. इन कंपनियों ने स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, बलेनो, हुंडई i10, वैगनऑर, आल्टो एवं कई पेट्रोल-डीजल वाली कारों को इलेक्ट्रिक वाहनों में कन्वर्ट किया है.
कारों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रिक किट लगभग एक जैसी होती है. हालांकि, रेंज और पावर बढ़ाने के लिए बैटरी और मोटर में फर्क आ सकता है. इन कंपनियों से आप इनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर संपर्क कर सकते हैं. ये कंपनियां इलेक्ट्रिक कार बेचती भी हैं.
फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने में कितना खर्च आता है?
फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार मे बदलने के लिए अलग-अलग खर्च बैठता है. किसी भी नॉर्मल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने के लिए मोटर, कंट्रोलर, रोलर और बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कार की रेंज कितनी चाहिए, कितने किलोवाट की बैटरी और मोटर चाहिए. क्योंकि ये दोनों पार्ट कार के पावर और रेंज से जुड़े होते हैं. जैसे, करीब 20 किलोवॉट की इलेक्ट्रिक मोटर और 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी का खर्च करीब 4 लाख रुपए तक होता है. इसी तरह यदि बैटरी 22 किलोवॉट की होगी तब इसका खर्च करीब 5 लाख रुपए तक आएगा.
कन्वर्ट कराने के बाद इलेक्ट्रिक कार की रेंज क्या होगी?
इलेक्ट्रिक कार की रेंज की बात करें तो यह भी इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने किलोवाट की बैटरी और किलोवाट का मोटर चुना है. अगर आपने 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी वाला ऑप्शन चुना है तो फुल चार्ज के बाद कनवर्टेड इलेक्ट्रिक कार की रेंज 70 किमी तक होगी. वहीं, 22 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी लगाई तब रेंज बढ़कर 150 किमी तक हो जाएगी. हालांकि, रेंज कम या ज्यादा होने में मोटर का रोल भी रहता है. यदि मोटर ज्यादा पावरफुल होती है तब कार की रेंज कम हो जाएगी.
क्या वारंटी होगी?
इलेक्ट्रिक कार 74 पैसे में एक किमी तक चलती है. पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली ये कंपनी 5 साल की वारंटी भी देती हैं. यानी आपको कार में इस्तेमाल होने वाली किट पर कोई एक्स्ट्रा खर्च नहीं करना होगा.
वहीं, बैटरी पर कंपनी 5 साल की वारंटी देती है. यानी 5 साल के बाद आपको बैटरी बदलने की जरूरत होगी. वहीं, पेट्रोल या डीजल कार में आपको सालाना सर्विस का खर्च भी करना होगा. ये आपको किट और सभी पार्ट्स का वारंटी सर्टिफिकेट भी देती हैं. इसे सरकार और RTO से मंजूरी होती है.