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रायपुर. प्रदेश की दो बड़ी यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्ति का मामला गरमा सकता है। राज्यपाल ने पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी और कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए, लेकिन सरकार के भीतर इसे लेकर सहमति नहीं है। कुलपतियों के चयन को लेकर राज्य सरकार सवालिया निशान उठा रही है। माना जा रहा है कि राजभवन और सरकार के बीच इस मुद्दे पर सख्ती हो सकता है। सरकार कुलपतियों की नियुक्ति के नए नियम बनाने की तैयारी में है। प्रदेश में पिछले कुछ महीनों से बिलासपुर की पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी और राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के लिए कुलपतियों के चयन प्रक्रिया चल रही थी। कुलपतियों के नाम फाइनल करने राज्यपाल व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच कई बार चर्चा हुई। बताते हैं कि चयन समिति द्वारा दोनों विश्वविद्यालयों के लिए बनाए गए पैनल की सूची में किसी एक-एक नाम पर सहमति न बन पाने की वजह से घोषणा में विलंब हो रहा था। इस बीच सोमवार को राज्यपाल ने ओपन विवि के लिए वर्तमान कुलपति वंशगोपाल सिंह को ही रिपीट कर पांच साल का दूसरा कार्यकाल दे दिया।
दोनों कुलपतियों को आरएसएस की विचारधाना माना जाता है इसी तरह उन्होंने सोमवार रात कुशाभाऊ ठाकरे विवि के लिए बलदेव भाई शर्मा का नाम फाइनल कर दिया। दोनों कुलपतियों को आरएसएस की विचारधारा का माना जाता है। सीएम की बजट तैयारियों के बीच इन नामों की अचानक घोषणा से राज्य सरकार भौं चक्क रह गई। वह इसे अपने अधिकार क्षेत्र में राज्यपाल का हस्तक्षेप मान रही है। उइके ने सिंह व शर्मा को कुलपति बनाकर संकेत दे दिया कि वे अपनी कार्यशैली से ही काम करेंगी। इसकी वजह यह कि कुलपति की नियुक्ति का आदेश राजभवन जारी करता है। यह आदेश सामान्यत: राजभवन सचिवालय से राज्यपाल के सचिव या उप सचिव अपने हस्ताक्षर से निकालते हैं। संभवत: यह पहला अवसर है, जब राज्यपाल के हस्ताक्षर से आदेश जारी हुआ है।
भूपेश बोले- अब सरकार अपना काम करेगी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई है। हमारी राय अलग थी। उन्होंने अपना काम कर लिया। अब सरकार अपना काम करेगी।